Sarwate Bus Stand Indore
1973 में बने इंदौर के सबसे पुराने बस स्टैंड सरवटे बस स्टैंड(Sarwate Bus Stand Indore) को नगर निगम प्रशासन ने जमीदोंज कर नया भवन बना दिया हैं। लेकिन इसके इतिहास के बारे में ज्यादा जानकारी उपलब्ध नही हैं। हम यहां सरवटे बस स्टैंड के नामकरण को लेकर बात करेंगे।
Sarwate Bus Stand Indore का नामकरण
सरवटे बस स्टैंड जो इंदौर की सबसे पुरानी बस स्टैंड हैं जिसका निर्माण 1973 में करवाया गया था का नाम विनायक सीताराम सरवटे (Vinayak Sitaram Sarwate) के नाम पर रखा गया हैं। इनका जन्म 1884 में हुआ था और निधन 1972 में हुआ। ये प्रसिद्ध स्वतन्त्रता सेनानी,समाजसेवी , राजनीतिज्ञ ओर प्रसिद्ध लेखक रहें हैं।
इन्हें वर्ष 1966 में साहित्य और शिक्षा में अप्रतिम योगदान देने के लिए पद्म भूषण पुरस्कार से नवाजा गया था जो भारत का तीसरा सर्वोच्च नागरिक सम्मान हैं।
ये संविधान सभा के मनोनीत सदस्य भी रहें, इन्हें मध्यभारत से संविधान सभा का सदस्य मनोनीत किया गया था।
इन्होंने शिक्षा के क्षेत्र में एक बेहतरीन पहल करते हुए बाल निकेतन संघ नामक संगठन की स्थापना की थी। इनकी इस पहल में बेटी शालिनी मोघे का सहयोग अविस्मरणीय हैं। और इनके शिक्षा के क्षेत्र में इसी योगदान के लिए पद्मभूषण पुरस्कार से नवाजा गया था।
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विनायक सीताराम सरवटे
उन्होंने अपनी बेटी, शालिनी ताई मोघे के साथ, "बाल निकेतन संघ", समाज सेवा और शिक्षा में एक संगठन की स्थापना की।
उन्हें साहित्य एवं शिक्षा के क्षेत्र में 1966 में भारत के राष्ट्रपति द्वारा भारत के तीसरे सर्वोच्च नागरिक सम्मान पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था।