वो इक पगली लड़की है जो मुझको अपना कहती है।
हर पल रोती रहती है और मुझको सपना कहती है।
डरती है मुझको खोने से,न बोलू तो रो देती है।
अगर रूठ जाता हूं मैं तो खुद आपा खो देती है।
जब भी मिलती है कहती कि मेरी आँखों मे देखो।
कितना प्यार भरा है इनमे अंदर झाँको और देखों।
हाँ, उन आंखों में मैंने भी प्यार भरा सागर देखा।
लेकिन उनमें ही मैंने, मुझको खोने का डर देखा।
मेरे प्यार की दौलत से उसने खुद को धनवान कहा।
मुझे बिठाया मन मन्दिर में फिर मुझकोे भगवान कहा।
दिल की सच्ची सीधी सादी,चेहरे पर भोलापन है।
जिससे भी मिलती है उसको लगता कुछ अपनापन है।
कहती है कि मैंने अपना सब कुछ तुमको मान लिया।
जीना भी है मरना भी है संग तुम्हारे, ठान लिया।
गुस्सा तो आता है उसको मेरी इस अनदेखी पर,
फिर भी है भरपूर भरोसा लिखे भाग्य में लेखी पर।
मेरे खातिर दुनिया के हर सितम जुलम सह जाती है।
लेकिन फिर मेरी नासमझी पर रोती रह जाती है।
उसके सब उपकारों से मैं कभी उऋण ना हो सकता।
लेकिन वो जो साथ रहे मुझपे फिर ऋण ना हो सकता।
मैं चाहू भगवान तुम्हारे सब सपने साकार करें।
और एक दूजे को ऐसे हम जीवनभर प्यार करें।