एक व्यंग लेख-
मैं अमरीका की सड़कों सा,
वो गाँवो की पगडंडी सी।
वो गाँवो की पगडंडी सी।
मै कड़ी प्रतिज्ञा भीष्मपिता की,
वो बेशर्म शिखंडी सी।
मै बुलेट ट्रेन हूँ मोदी की ,
वो तिपहिया आटो रिक्शा।
मैं मानचित्र हु भारत का,
वो है पाकिस्तानी नक्शा।
मैं अपराजेय सिकन्दर हूँ,
उसकी किस्मत में जीत नही।
मैं गुरमीत राम रहीम मग़र,
वो तो मेरी हनीप्रीत नही।
मै शुद्ध नीर हूँ बारिश का,
वो शौचालय का गड्ढा है।
मैं पेण्ट शर्ट गोविंदा का,
वो नाड़े वाला चड्डा है।
मैं जीता जागता मानव हूँ,
वो जैसे कोई मुर्दा है।
मै 15 लाख का मोदी सूट,
वो फटा राहुल का कुर्ता है।
मैं ममता का पुलिस कमिश्नर हूँ,
वो C B I के अफसर सी।
मैं pmo का ऑफिस हूँ,
वो CBI के दफ्तर सी।