पीरूलाल कुम्भकार का बेहतरीन मुक्तक संग्रह ( Hindi, Political and Romantic poetry By Pirulal Kumbhkar)
चुनाव 2019/राष्ट्रवाद
राष्ट्रवाद की बात करे उसको शासन देना होगा।
पार्थ सामनेश्रीकृष्ण को फिर भाषण देना होगा।
पार्थ सामनेश्रीकृष्ण को फिर भाषण देना होगा।
देश धर्म गर बचा रहा तो रोजगार लाखो होंगे,
इसीलिए सिंहो को फिर से सिंहासन देना होगा।
इसीलिए सिंहो को फिर से सिंहासन देना होगा।
गरीब और मजदुर
वही राते वही नींदें मगर है .......लोरिया गायब।
सुखी सब चेहरे से है मगर किलकारियां गायब।
सुना है मुल्क मेरा अब ...तरक्की कर रहा है पर,
गरीबो ओर मजदूरों के घर से ....रोटियां गायब।
सुखी सब चेहरे से है मगर किलकारियां गायब।
सुना है मुल्क मेरा अब ...तरक्की कर रहा है पर,
गरीबो ओर मजदूरों के घर से ....रोटियां गायब।
प्यार में
हम तो हारे हुए उन .....नवाबो में थे।
जिनके किस्से कहानी किताबो में थे।
ये जमाना पढ़ाकू .......भले कह हमे,
रात भर आपके ही तो ख्वाबो में थे।
इश्क का जो नशा था उतर ही गया।
पर परिंदे के कोई कुतर ही गया।
मुझ पे तेरा नशा ओर .चढ़ ही गया।
पर जमाना ये सोचे .सुधर ही गया।
जो किया ही नही वो भी भरना पड़ा।
इस कदर हमको तुमसे यू डरना पड़ा।
प्यार से हमको नफरत तो होती मग़र,
फिर तुम्हारे लिए हमको करना पड़ा।
जिनके किस्से कहानी किताबो में थे।
ये जमाना पढ़ाकू .......भले कह हमे,
रात भर आपके ही तो ख्वाबो में थे।
इश्क का जो नशा था उतर ही गया।
पर परिंदे के कोई कुतर ही गया।
मुझ पे तेरा नशा ओर .चढ़ ही गया।
पर जमाना ये सोचे .सुधर ही गया।
जो किया ही नही वो भी भरना पड़ा।
इस कदर हमको तुमसे यू डरना पड़ा।
प्यार से हमको नफरत तो होती मग़र,
फिर तुम्हारे लिए हमको करना पड़ा।
राजनीतिक टिप्पणियां
बाते फ़िजूल की भी ये पुरजोर कह रहे।
हर रैलियों भाषण में लगा जोर कह रहे।
हेराल्ड मामले में खुद ही बेल पे है जो,
वे लोग चोकीदार को ही चोर कह रहे।
पत्थर को फेंकने पे तो पत्थर ही आएंगे।
जो देश सम्भालेंगे डुबो कर ही आएंगे।
खातों में अभी तक तो पन्द्रा लाख न आये,
लगता है कि राहुल के बहत्तर ही आएंगे।
थे शांतिदूत , आरियो के साथ खड़े है।
अब वे ही अत्याचारियों के साथ खड़े है।
जो देश से मिटाने को आये थे भ्रष्टाचार,
वे खुद ही भ्रष्टाचारियों के साथ खड़े है।
जो कर्ज लेके देश से फरार हो गए।
एक दाव सौ सुनार इक लुहार हो गए।
चौदह में तो थे चाय वाले देश के pm,
उन्नीस के आते आते चोकीदार हो गए।
राष्ट्रविरोधी हर ताकत के गग्गू मत बन जाना तुम।
जो चाहे उसको काटे वो चक्कू मत बन जाना तुम।
जिसको ये भी समझ नही कब क्या कैसे बोला जाए,
उस पप्पू कोे देश सोप कर पप्पू मत बन जाना तुम।
हर रैलियों भाषण में लगा जोर कह रहे।
हेराल्ड मामले में खुद ही बेल पे है जो,
वे लोग चोकीदार को ही चोर कह रहे।
पत्थर को फेंकने पे तो पत्थर ही आएंगे।
जो देश सम्भालेंगे डुबो कर ही आएंगे।
खातों में अभी तक तो पन्द्रा लाख न आये,
लगता है कि राहुल के बहत्तर ही आएंगे।
थे शांतिदूत , आरियो के साथ खड़े है।
अब वे ही अत्याचारियों के साथ खड़े है।
जो देश से मिटाने को आये थे भ्रष्टाचार,
वे खुद ही भ्रष्टाचारियों के साथ खड़े है।
जो कर्ज लेके देश से फरार हो गए।
एक दाव सौ सुनार इक लुहार हो गए।
चौदह में तो थे चाय वाले देश के pm,
उन्नीस के आते आते चोकीदार हो गए।
राष्ट्रविरोधी हर ताकत के गग्गू मत बन जाना तुम।
जो चाहे उसको काटे वो चक्कू मत बन जाना तुम।
जिसको ये भी समझ नही कब क्या कैसे बोला जाए,
उस पप्पू कोे देश सोप कर पप्पू मत बन जाना तुम।
बाहुबली को मार कटप्पा ना बन सका।
खोजो में दुबारा से हड़प्पा ना बन सका।
जो नींद में भी रात को राफेल रट रहा,
पप्पू तो बन गया हैवो पप्पा ना बन सका।
जब भी सिंह सियारो के सम्मुख झुकेंगे।
खुद इतिहास के पन्ने उन पर थूकेंगे।
जिनको फिक्र नही है अपनी सीता की,
अब वे राम भला क्यों लंका फूकेंगे।
हमने कल गूंगे बहरो को हंसते गाते देखा है।
मातम के मौसम में भी पीछे मुस्काते देखा है।
कैसे कह दु आतंकों का कोई धर्म नही होता,
मेने सैनिक की लाशो पर जश्न मनाते देखा है।
खोजो में दुबारा से हड़प्पा ना बन सका।
जो नींद में भी रात को राफेल रट रहा,
पप्पू तो बन गया हैवो पप्पा ना बन सका।
जब भी सिंह सियारो के सम्मुख झुकेंगे।
खुद इतिहास के पन्ने उन पर थूकेंगे।
जिनको फिक्र नही है अपनी सीता की,
अब वे राम भला क्यों लंका फूकेंगे।
शहीदों की लाशों पर
मातम के मौसम में भी पीछे मुस्काते देखा है।
कैसे कह दु आतंकों का कोई धर्म नही होता,
मेने सैनिक की लाशो पर जश्न मनाते देखा है।
दौड़ कर आ गईं
काम सारे वही छोड़ कर आ गयी।
वस्तुएं राह की तोड़ कर आ गयी।
वो किताबो में खोई हुई थी मगर,
फोन जैसे बजा दौड़ कर आ गयी।
होली और तिरंगा
रंगो के त्योंहार में अब ना कोई रंग ......बेढंगा हो।
ओर कही भी हिन्दू मुस्लिम में ना फिर से दंगा हो।
न ही किसी को दिक्कत होगी ना ही ..गुस्सा होगा,
फेंके गए सभी रंगों से बनताअगर .......तिरंगा हो।
ओर कही भी हिन्दू मुस्लिम में ना फिर से दंगा हो।
न ही किसी को दिक्कत होगी ना ही ..गुस्सा होगा,
फेंके गए सभी रंगों से बनताअगर .......तिरंगा हो।
ख्वाबों में हम आएंगे
उदास हो चेहरा तो... गम आएंगे।
ज्यादा ना सही पर.. कम आएंगे।
ये सोच कर सो. जाओ मेरी जान,
कि रात को ख्वाबो में हम आएंगे।
ज्यादा ना सही पर.. कम आएंगे।
ये सोच कर सो. जाओ मेरी जान,
कि रात को ख्वाबो में हम आएंगे।
कश्मीर नही लें पाये है
पुरखो का अभिमान वही जागीर नही ले पाए है।
और हम अपने ही लोगो की पीर नही ले पाए है।
बोलो कैसे हम लाहौर व...... रावलपिंडी ले लेंगे,
जब हम अपने हक का ही कश्मीर नही ले पाए है।
बोलो कैसे हम लाहौर व...... रावलपिंडी ले लेंगे,
जब हम अपने हक का ही कश्मीर नही ले पाए है।
इच्छा
सोचता हूं कि दीवाली व ईद हो जाऊं।
भुला प्रणय व राष्ट्र का मुरीद हो जाऊं।
स्वयं को इससे बड़ा और क्या तोहफ़ा दूँ,
भुला प्रणय व राष्ट्र का मुरीद हो जाऊं।
स्वयं को इससे बड़ा और क्या तोहफ़ा दूँ,
मेरी इच्छा है कि मैं भी शहीद हो जाऊं।