बिना तुम्हारे इक इक पल सौ सदियों से भी भारी है।
हम तो खुद ही खुद से लड़ते जंग अभी तक जारी है।
दिल तो फिर भी हार गया पर आंख अभी ना हारी है।
कठिन कठिन राहों से अपना प्यार गुजरता चला गया।
आंखों से होंठो के रस्ते हृदय. उतरता चला गया।
बंदिश बहुत जमाने की थी फिर भी करता चला गया।
पिछले सभी जनम के सूनेपन को भरता चला गया।
लेकिन भाग्य पलटने की अब ये केसी तैयारी है।
दिल तो फिर भी.........
दिन भी साथ बिताते और संग में रातें भी होती थी।
मोबाईल से दो दो घण्टे तक . बाते भी होती थी।
कभी रूठना कभी मनाना ये सब चलता रहता था,
उसके बाद बहुत सारी सी मुलकातें भी होती थी।
लेकिन अब तो साथ हमारे केवल चार दिवारी है।
दिल तो फिर भी......
सूरज की गर्मी, ठंडक में ढले तो जल हो पायेगा।
वरना तो केवल मिट्टी का ही दलदल हो पायेगा।
जिनका प्रणय हवस की बुनियादो पर खड़ा नही होता,
केवल उनका ही दुनिया में प्यार सफल हो पायेगा।
प्रेम सफल या विफल रहे ये अपनी जिम्मेदारी है।
दिल तो फिर भी......